Wednesday, 24 February 2016

भारत के महान शहीदों से संबंधित जानकारी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ऐसे क्रांतिकारों के कारनामों से भरा है जिन्होंने अपनी चिंगारी से युगों को रौशन किया है. यहां आप कुछ ऐसे ही कुछ शहीद क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ेगे, जिन्होंने क्रांति और जनचेतना को जगाकर देश को एक नई दिशा दी थी. भारत के महान शहीदों से संबंधित जानकारी इस प्रकार है:
नाम
संबंधित घटनाएं
सजा
खुदीराम बोस
1908 में सेशन जज किंग्‍जफोर्ड की गाड़ी पर बम फेकने के कारण बेणी रेलवे स्‍टेशन पर गिरफ्तार हुए.
11 अगस्‍त, 1908 को फांसी दे दी गई
अशफाकउल्‍ला खां
19 अगस्‍त, 1925 को काकोरी डाकगाड़ी डकैती केस के अभियोग में बंदी बनाया गया.
18 दिसंबर 1927 ई. को फांसी दे दी गई
ऊधम सिंह
13 मार्च 1940 ई. को सर माइकल-ओ-डायर को कैक्‍सटन हॉल लंदन में गोली मारने के कारण गिरफ्तार हुए.
12 जून 1940 को फांसी दी गई.
भगत सिंह
सान्‍डर्स की हत्‍या तथा 8 अप्रैल, 1929 को केंद्रीय विधानसभा में बम फेकने के सिलसिले में गिरफ्तारी.
सान्‍डर्स की हत्‍या के केस में मौत की सजा हुई तथा 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़कर शहीद हुए.
सुखदेव
सान्‍डर्स की हत्‍या के केस में मौत की सजा हुई. 15 अप्रैल1929 को गिरफ्तार हुए.
23 मार्च 1931 को भगत सिंह के साथ फांसी दी गई.
बटुकेश्‍वर दत्त
भगत सिंह के साथ्‍ज्ञ केंद्रीय असेम्‍बली में बम फेंकने के आरोप में गिरफ्तार हुए.
इन्‍हें आजीवन कारावास का दंड मिला.
चंद्रशेखर आजाद
काकोरी डाकगाड़ी डकैती केस के मुख्‍य अभियुक्‍त तथा अंग्रेजी सरकार ने इन्‍हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए तीस हजार रुपये पुरस्‍कार की घोषणा की.
23 फरवरी 1931 को एल्‍फ्रेड पार्क (इलाहाबाद) में शहीद हुए.
मास्‍टर अमीचंद
दिल्‍ली षड्यंत्र के प्रमुख क्रान्तिकारी अमीचंद फरवरी, 1914में वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की हत्‍या करने के आरोप में बंदी बनाए गए.
8 मई, 1915 को चार साथियों के साथ इन्‍हें फांसी दी गई.
अवध बिहारी
दिल्‍ली षड्यंत्र केस और लाहौर बम कांड के आरोप में फरवरी, 1914 में इन्‍हें बंदी बनाया गया.
8 मई, 1915 को चार साथियों के साथ इन्‍हें फांसी दे दी गई.
मदन लाल धींगरा
1 जुलाई, 1909 में कर्नल विलियम कर्जन वाइली  की हत्‍या करने के कारण गिरफ्तार हुए.
16 अगस्‍त, 1909 ई. को इन्‍हें फांसी दे दी गई.
दामोदर चापेकर
22 जून, 1897 ई. को प्‍लेग कमिश्‍नर रैंड और लेफ्टिनेंट एयर्स्‍ट हत्‍या सिलसिले में अपने भाइयों के साथ गिरफ्तार हुए.
18 अप्रैल, 1898  ई. को फांसी के तख्‍ते पर चढ़कर शहीद हो गए. इनके भाई बालकृष्‍ण चापेकर को 12 मई, 1899 तथा वासुदेव चापेकर को 8 मई, 1899 को फांसी पर लटका दिया गया.
राजगुरु
17 दिसंबर, 1928 को सौन्‍डर्स की हत्‍या में भाग लेने के कारण 30 दिसंबर 1929 को पूना में एक मोटर गैराज में गिरफ्तार हुए.
23 मार्च, 1931 को केंद्रीय जेल लाहौर में भगत सिंह और सुखदेव के साथ फांसदी दे दी गई.
वासुदेव बलवंत फड़के
एक सशस्‍त्र सेना बनाकर ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के कारण 21 जुलाई, 1879 को गिरफ्तार हुए.
कालापानी की सजा के सिलसिले में अदन में आमरण अनशन करके 17फरवरी, 1883  को प्राण त्‍याग दिए.
करतार सिंह सराबा
गदर पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता तथा लाहौर सैनिक षड्यंत्र के नेता की हैसियत से गिरफ्तार किए गए.
16 नवंबर, 1915 को फांसी के तख्‍ते पर झूलते हुए शहीद हो गए.
राजेंद्र लाहिड़ी
दक्षिणेश्‍वर बम कांड तथा काकोरी डाक गाड़ी डकैती कांड के सिलसिले में गिरफ्तार हुए.
17 दिसंबर, 1927 को गोंडा की जेल में इन्‍हें फांसी दे दी गई.
अनंत कान्‍हरे
नासिक के जैक्‍सन हत्‍याकांड के प्रमुख अभियुक्‍त होने के कारण बंदी बनाए गए.
19 अप्रैल 1910 को फांसी दे दी गई.
सुभाषचंद्र बोस
21 अक्‍टूबर, 1943 को सिंगापुर में आजाद भारत की अस्‍थाई सरकार की स्‍थापना की घोषणा की तथा जापानी सेना की सहायता से अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर अधिकार करते हुए, 1944 में भारतीय सीमा के इम्‍फाल क्षेत्र में प्रवेश किया.
18 अगस्‍त 1945 को वायुसेना दुर्घटना में इनकी मौत हो गई. लेकिन इस हादसे को अभी तके प्रमाणिक नहीं माना गया है.
विष्‍णु गणेश पिंगल
23 मार्च 1915 को विस्‍फोटक बमों के साथ गिरफ्तार कर लिए गए.
17 नवंबर 1915 को इन्‍हें फांसी दे दी गई.
ब्रजकिशोर चक्रवर्ती
मिदनापुर के जिला मजिस्‍ट्रेट बर्ज पर गोली चलाने के आरोप में 2 सितंबर 1933 को गिरफ्तार कर लिए गए
26 अक्‍टूबर 1934 को फांसी दी गई.
कुसाल कोंवर
9 अक्‍टूबर 1942 को ब्रिटिश सैनिक गाड़ी को पटरी से उतारने के संदेह में गिरफ्तार हुए.
16 जून 1943 को इन्‍हें फांसी दे दी गई.
असित भट्टाचार्य
13 मार्च, 1933 को हबीबगंज में हुई डाक डकैती तथा हत्‍या के अन्‍य मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए.
2 जुलाई 1934 को सिलहट जेल में इन्‍हें फांसी दे दी गई.
जगन्‍नाथ शिंदे
शोलापुर थाने पर हुए हमले का अभियोग लगाकर इन्‍हें बंदी बनाया गया.
12 जनवरी 1931 में इन्‍हें फांसी दे दी गई.
हरकिशन
23 दिसंबर 1930 को पंजाब के गवर्नर पर गोली चलानेके आरोप में गिरफ्तार हुए.
9 जून 1931 को इन्‍हें फांसी दे दी गई.
सूर्यसेन
18 अप्रैल 1930 में चटगांव स्थित ब्रिटिश शस्‍त्रागार पर आक्रमण में भाग लेने के कारण गिरफ्तार हुए.
11 जनवरी 1934 को इन्‍हें फांसी पर लटका दिया गया.
लाला लाजपत राय
17 नवंबर 1928 के साइमन कमीशन का विराध करने पर पुलिस की लाठियों का शिकार हुए
लाठी प्रहार के एक महीने बाद उनका देहांत हो गया.

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